-सुभाष चंद मुसाफिर संयोजक बामसेफ-
मान्यवर लाहौरी राम बाली जी 20वीं एवम् 21वी’ सदी के भारत वर्ष के उन नामवर महापुरुषों में से एक हैं जिन्होंने बाबा साहिब डा. अंबेडकर जी के साथ और उन के बाद लाख मुश्किलों के बावजूद भी मिशन के लिए काम किया।
बाबा साहिब डा. अंबेडकर जी को वचन दिया कि उन के न रहने पर वे आजीवन उनके मिशन कारवां को आगे ले कर जाएंगे । बाबा साहिब के ज्यादा गिनती पैरोकारों के कांग्रेस में चले जाने के बावजूद भी वे भारत में बाबा साहिब और उन के द्वारा दिए गए बौद्ध धम्म को संभाले अकेले ही संघर्षरत रहे।
स्वतंत्र भारत में बाली साहिब के इलावा कोई दूसरा न होगा के जिन पर हकुमत और अपने लोगों ने 50 से ज्यादा केस दर्ज किए और उनको कोर्ट कचहरियों में बुला बुला कर परेशान किया। कोर्ट कचहरियों के चक्र और जेल की दर्दनाक ज़िल्लत को वही जान सकता है जिस ने खुद झेली हो। मैं यह इस लिए कह रहा हूं कि हकुमत ने भारत मैं गरीब मजलूमों के हक की लड़ाई लड़ने हेतु मुझ पर भी 8 वर्ष तक केस चलाए रखा था। इस लिए मैं उनके द्वारा भारत वर्ष में गरीब मजलूमों के हक अधिकार, न्याय एवम् सत्य की लड़ाई लड़ने के दृढ़ संकल्प का कायल हूं जो आजीवन निर्भकता के साथ सत्य और इंसाफ के लिए डटे रहे। शारीरिक तौर पर भी हष्ट पुष्ट सवा छः फुट की कद काठी के साथ 90 किलो भार, रंग गोरा एवम चेहरे पे तेज, हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, फारसी, संस्कृत एवम मराठी भाषा के प्रकांड विद्वान उन के सामने बैठ कर बात करने हेतु भी बड़े बड़ों के पसीने छूट जाते थे ।
एक दलित बेटी के साथ हुए बलात्कार की जालंधर के एस.पी से उस बेटी के पिता के साथ शिकायत करने गए जिसका नाम पलटा था और उसके द्वारा बेटी को ही अपशब्द कहने पर उस एस.पी की उसके दफ्तर में ही जूतों से धुलाई कर डाली उसकी पिटाई की गूंज ने हकुमत के कानों के पर्दे तक फाड़ डाले हों फिर उस एस.पी द्वारा झूठा मुकद्दमा बना कर उन्हे जेल में डाल देना उस मुकद्धमे को जीत कर बा इज्जत बाहर आना, शायद ही भारत में इस तरह का कोई अन्य वृत्तांत घटा हो ।
भारत में 1964 में बहुजनो के पक्ष में आर .पी.आई द्वारा किए गए संघर्ष में उन्हें अपने छोटे छोटे बच्चों राहुल, सुजाता तथा पत्नी समेत 70 दिन से ज्यादा जेल में रहना पड़ा। यह आजाद भारत के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा जेल भरो आंदोलन था जिसमें करीब तीन लाख से ज्यादा आंदोलनकारी जेल में गए थे। जिसमें 14 लोग शहीद हुए एक जालंधर के राम प्रकाश भी थे । बाली साहिब भारतवर्ष में अपनी लिखतों और उन लिखतों पर अडिग रहने के लिए भारत वर्ष में ‘ए ग्रेट लीजेंड ऑफ इंडिया’ ( भारत के महानायक) ‘बाली साहिब द ग्रेट’ के नाम से सदियों तक याद किए जाते रहेंगे । बाली साहब ने 1967 में जिस जाति हंकारी कांग्रेसी केंद्रीय मंत्री स्वर्ण सिंह के विरुद्ध कोई चुनाव में जनरल सीट से पर्चा तक नही भरता था उसके विरुद्ध आर.पी.आई से चुनाव लड़ कर एक लाख से ज़्यादा वोट लेना और इस जाति हंकारी व्यक्ति को नाकों चने चबा देना ये सब बाली साहिब ही कर सकते थे। जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे भारत वर्ष में ट्रेन से बाबा साहिब के मिशन के प्रचार को जाना और अपने भाषणों से जनसमूह में जोश भर देना बाली साहिब के व्यक्तित्व की विशेषता थी।
उनके द्वारा 100 से ज्यादा किताबें जिन में बहुचर्चित रंगीला गांधी, हिंदू इज्म धर्म या कलंक ?, डा. अंबेडकर कलम का कमाल तथा डा. अंबेडकर जीवन और मिशन आदि अत्यंत ही प्रसिद्ध हैं । इनमे से डा. अंबेडकर जीवन और मिशन हिंदी, अंग्रेजी के बाद जर्मन भाषा में भी छप चुकी है। इसके अलावा यह पुस्तक पंजाब सरकार की ओर से पंजाब की तमाम यूनिवर्सिटिययों के लिए मान्यता प्राप्त है उनके जाने के उपरांत आज चार विद्यार्थी बाली साहब के जीवन और संघर्ष पर पी.एच.डी कर रहे हैं। प्रसिद्ध अंबेडकरवादी प्रोफेसर तथा चिंतन प्रोफेसर सूर्य येंगडे (हारवार्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका )की तरफ से बाली साहब के नाम पर नेशनल अवार्ड जिसका नाम एल.आर.बाली राष्ट्रीय पुरस्कार है जो कि पहला अवार्ड गुजरात के प्रसिद्ध समाज चिंतक जिग्नेश मेवानी को दिया गया है ।
बाली साहिब का सबसे बड़ा योगदान जालंधर का अंबेडकर भवन यहां बाबा साहिब ने 27 अक्तूबर 1951 में भाषण दिया था उस जगह को आपने 1963 में सेठ कर्म चांद बाठ तथा अन्य साथियों के सहयोग और गरीब जनता के एक-एक रुपए से खरीद कर उत्तरी भारत का सब से प्रख्यात केंद्र 1972 से बाली साहब द्वारा बनाया गया । आज अंबेडकर भवन ट्रस्ट ही इस भवन की बाखूबी देखरेख कर रहा है यहां से बाबा साहिब के निरोल मिशन की विचारधारा पूरे भारत में ही नहीं वल्कि पूरे विश्व भर में प्रचारित की जाती है।
बाली साहिब अपने बेबाक भाषण, निर्भीक लेखन, सत्य, करुणा व मैत्री के प्रख्यात पुरोधा थे। उनके दुश्मन भी उनकी प्रतिभा के कायल थे बड़े-बड़े जोधा भी उनका लोहा मानते थे । हकुमत हमेशा उनके द्वारा निकाली जाने वाली पत्रिका ‘भीम पत्रिका’ से डरी रहती थी। बाली साहब के जाने के बाद भीम पत्रिका को उनके बड़े बेटे डा.राहुल बाली आज ई.पेपर के रूप में निकाल रहे हैं। यह अखबार आज भी पूरी दुनिया में बाबा साहब के मिशन का प्रचार प्रसार कर रही है।
यहां तक कि जब सचखंड बल्लां के महापुरुषों पर विदेश वियाना में जान लेवा हमला हुआ और जिस हमले में महान संत श्री रामानंद जी महाराज शहीद हो गए । बड़े महाराज संत निरंजन दास जी गोलियों से बुरी तरह जख्मी हुए इसके विरोध में पंजाब में भडकी हिंसा आगजनी में जालंधर के पांच लोग शहीद हो गए , हकुमत ने पंजाब समेत पूरे भारत में हुए भीषण विरोध को पुलिस प्रशासन द्वारा दबा दिया । तब पूरे भारत में संत मिशन को चलाने वाले डेरों ने भी इस अत्याचार के विरुद्ध आवाज नहीं उठाई तब बाली साहिब ने पंजाब और आस पास के प्रांतों से मिशनरी साथियों को बुला कर जालंधर के देशभक्त यादगार हाल में एक बहुत बड़ी जनसभा का आयोजन किया इस श्रद्धांजलि समागम मे शाहिद रामानंद महाराज जी के पिता श्री महंगा राम जी को बाली जी ने सम्मानित किया । श्री चरण दास संधू जी के माध्यम से इस मंच से मुझे भी संबोधन करने का अवसर मिला । श्री संधू साहिब इसी मंच का संचालन भी कर रहे थे । बाली साहिब ने इस कार्यक्रम में मंच से दुष्ट हाकम को अत्याचार बंद करने के लिए चेताया। हालांकि बाली साहिब भारत वर्ष में पनपे किसी भी तरह के डेरा वाद के सख्त खिलाफ थे फिर भी अगर किसी पर अत्याचार हुआ हो या कोई बेइंसाफी हुई हो तो वो दुष्ट हाकम के विरुद्ध संघर्ष करने में सब से आगे चट्टान की भांति खड़े रहते थे ।
बाली साहिब ने अपने पूरे जीवन को तथागत गौतमबुद्ध , सतगुरु रविदास जी, सतगुरु कबीर साहिब एवम बाबा साहिब डा. भीम राव अम्बेडकर जी के द्वारा चलाए गए आंदोलन हेतु समर्पित कर स्वयं को उन्ही महापुरुषों की श्रेणी में ला खड़ा किया। उन के संघर्ष को भारत वर्ष के जन जन तक पहुंचाने हेतु उनके चित्र को अन्य महापुरुषों के साथ एक कैलेंडर के रूप में जारी किया जा रहा है। सभी भारतवासियों से अपील है कि इसे ज्यादा से ज्यादा आम जनमानस तक पहुंचाया जाए। हमारे पास इस का भरपूर स्टॉक है साथी हम से संपर्क कर यह कलैंडर मंगवा सकते हैं ।
Subhash Chand Musafir
Coordinator BAMCEF
(BACKWARD (SCSTOBC) AND MINORITIES (SCM) EMPLOYEES FEDERATION), COBRA (CONFEDERATION OF BACKWARD(SCSTOBC) & RELIGIOUS MINORITIES(SCM) ASSOCIATIONS AND PRESIDENT ASTBRA (ALL SC/ST/OBC &RM EMPLOYEES ASSOCIATION HP.
अंत में ये शेयर उनकी (बाली साहिब)
“ना मैं गिरा ना मेरे हौसलों के मीनार गिरे ,
मगर मुझको गिराने में कई लोग बार-बार गिरे ।।”
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