भारतीय संविधान में अनुच्छेद – 21 ( A ) के अनुसार शिक्षा का अधिकार का प्रावधान किया गया है। और भारतीय संविधान में ही अनुच्छेद – 46 के अनुसार यह प्रावधान किया गया है कि राज्य, जनता के दुर्बल वर्गों के विशिष्टत : अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा और आर्थिक संबंधी हितों की विशेष सावधानी से अभिवृद्धि करेगा और सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से इन वर्गों की सुरक्षा प्रदान करेगा।
परंतु उपरोक्त प्रावधानों को कितना जमीनी स्तर पर लागू किया जाता है , यह अपने आप में बहुत बड़ा प्रश्न है। यदि हम हम इसकी वास्तविकताओं पर नजर डालते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि सरकारी विद्यालयों में विशेषतः प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में समस्त छात्रों को निशुल्क भोजन , निशुल्क कपड़े , निशुल्क किताबें , और निशुल्क बस्ते व दलिया प्रदान किए जाते हैं जो कि ऐसा होना भी चाहिए परन्तु इन विद्यालयों में योग्य अध्यापक होने के बावजूद भी शिक्षा नाम की कोई स्थान नहीं है। जो सरकारी अध्यापक इन सरकारी विद्यालयों में पढ़ाते हैं वे स्वयं अपने बच्चों को इन विद्यालयों में पढ़ाना पसंद नहीं करते। उन सभी अध्यापकों के अधिकतर बच्चे प्राइवेट और मंहगे स्कूल में पढ़ते है। अतः इससे स्पष्ट होता है कि माध्यमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा का स्तर अत्यंत ही खराब है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले अधिकतर छात्र – छात्राएं गरीब , दलित और पिछड़े समाज से होते हैं। गरीब और खासकर अधिकतर दलित – पिछड़े संबंधित लोगों के पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वे अपने बच्चों को किसी प्राइवेट और मंहगे विद्यालयों में पढ़ा पाये। ऐसी अवस्था में वे अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में भेजने हेतु विवश होते हैं। परंतु वहां पर शिक्षा बेहतर ना होने के कारण ये विद्यार्थी विद्यालय जाने के बावजूद भी अशिक्षा के ही शिकार होते हैं।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए वर्षों तक बाबा साहब अंबेडकर जी के करीबी रहे , महान लेखक और विचारक , अंबेडकरवादी योध्दा , महान समाज सुधारक और आजीवन भीम पत्रिका के संपादक रहे श्री एल. आर. बाली साहब जी के स्मृति में महामानव तथागत बुद्ध और बाबा साहब अंबेडकर जी के विचारधारा पर आधारित गरीब , दलित व पिछड़े समाज से संबंधित छात्रों के लिए ग्राम – महमदपुर सैजनियां , जिला – शाहजहांपुर ( उत्तर प्रदेश ) में हमें श्री एल. आर. बाली मेमोरियल एकेडमी की स्थापना करना पड़ा। हम इस एकेडमी के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों और गरीब छात्रों को निशुल्क रूप से शिक्षित करने का कार्य करेंगे । मेधावी छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा लेने हेतु प्रोत्साहित करने का कार्य करेंगे। एकेडमिक शिक्षा के साथ-साथ हम इन छात्रों को शारीरिक , नैतिक , बौध्दिक और बुध्दिस्ट और अंबेडकरवादी शिक्षा भी प्रदान करेंगे। जिससे आगे चलकर ये सभी छात्र समाज और इस देश को सही दिशा प्रशस्त करने में अपनी अहम भूमिका का निर्वहन कर सकें। हम इस एकेडमी को प्रतियोगी छात्रों के लिए स्वअध्ययन केंद्र के रूप में तब्दील करेंगे और कुछ कंपटीशन से संबंधित पुस्तकें भी उपलब्ध करवाने का हमारा प्रयास रहेगा।
फिलहाल अभी इस एकेडमी में श्री विमलेश कुमार , श्री मिथलेश कुमार , श्री सन्नी कुमार , श्री मनीष कुमार अध्यापन का कर रहे हैं। और श्री राम कुमार , श्री पृथ्वी आनंद , श्री अरविन्द कुमार भारती , श्री विमलेश कुमार और मैं ( रंजीत कुमार गौतम – संस्थापक ) इसके मुख्य कार्यकारिणी सदस्य हैं। 13 मार्च 1927 को बाबा साहब अंबेडकर जी द्वारा स्थापित आल इंडिया समता सैनिक दल ( रजि.) राज्य इकाई उत्तर प्रदेश के द्वारा श्री एल आर बाली मेमोरियल एकेडमी का संचालन किया जाता है। मैं ग्राम महमदपुर सैजनियां के माननीय ग्राम प्रधान का विशेष धन्यवादी हूं जिन्होंने अपने ग्राम पंचायत के बरात घर में इस एकेडमी के संचालन करने हमें अनुमति प्रदान किया। और आल इंडिया समता सैनिक दल (रजि.) के चेयरमैन डॉ. एच. आर. गोयल , जनरल सेक्रेटरी श्री अशोक शेंडे , श्री एल. आर. बाली साहब के सुपुत्र श्री आनंद बाली , इंजी. हरिओम सिंह , श्री विक्रम सिंह , श्री नरेश कुमार व अन्य मिशनरी साथियों का मैं विशेष आभार एवं धन्यवाद व्यक्त करता हूं जिनके आर्थिक सहयोग से इस एकेडमी का संचालन करना संभव हो पाया। इस एकेडमी का आगे भी संचालन होता रहे , इसके लिए भी दान पारमिता की भावना रखने वाले मिशनरी साथियों से मैं मिशनरी साथियों से सहयोग करने हेतु विनम्र निवेदन करता हूं।
दिनांक – 26 नवंबर 2023 को संविधान दिवस के पावन अवसर पर मेरे पूज्य अध्यापक श्री सुभाषचन्द्र कुशवाहा जी के करकमलों द्वारा इस एकेडमी अनावरण किया गया। 26 नवंबर 1949 को बाबा साहब अंबेडकर जी ने भारत का संविधान बनाकर देश को समर्पित किया था और उसी दिन अर्थात 26 नवंबर 2023 को श्री एल. आर. बाली मेमोरियल एकेडमी का स्थापना कर मैंने समाज को समर्पित किया , अतः इस बात पर मुझे सदैव गर्व रहेगा।
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