एल. आर. बाली उस महान व्यक्तित्व का नाम है जिसने अपनी प्रज्वलित मसाल से न जाने कितने अंधेरी घरों में रोशनी पैदा किया और इस मानव जगत को सकारात्मक और प्रगतिशील दिशा प्रदान किया। बाली साहब प्रायः अपने ओजस्वी भाषणों से समस्त नौजवानों में उत्साह उत्पन्न किया करते थे और उनकी लेखनी सदैव तर्कशीलता , विद्वता , दार्शनिकता और यथार्थवादिता से परिपूर्ण हुआ करती थी जो मनुष्य को सही और सकारात्मक दिशा प्रशस्त करने में अपनी अहम भूमिका का निर्वहन करती हैं। परंतु बाली साहब जैसे महान व्यक्तित्व का नाम किसी विशेष क्षेत्र तक ही सीमित नहीं किया जा सकता । उनका योगदान विभिन्न क्षेत्रों में बड़ा ही उत्कृष्ट रहा है। महान लेखक व पत्रकार , महान समाज सुधारक , महान क्रांतिकारी योद्धा , महान दार्शनिक व विचारक , महान समाज सेवक इत्यादि जैसे विभिन्न रूपों में उन्होंने अपने जीवन के अंतिम सांस तक में विशेष योगदान दिया जो की ऐतिहासिक पृष्ठों पर सदैव स्वर्णिम अक्षरों में विद्यमान और वर्णित रहेगा। अतः उपरोक्त विभिन्न रूपों में बाली साहब ने अपना योगदान कैसे दिया ? मैं संक्षिप्त रूप से वर्णन करना चाहूंगा।
महान लेखक व पत्रकार :— 14 अप्रैल सन् 1958 को बाली साहब ने भी पत्रिका की स्थापना किया और तब से अपने जीवन की अंतिम क्षणों तक वे स्वयं इस पत्रिका के संपादक रहे। अपनी पत्रकारिता के माध्यम से उन्होंने देश की सामाजिक , आर्थिक , राजनीतिक व धार्मिक परिस्थितियों को समस्त जनमानस तक पहुंचाने का कार्य किया। भीम पत्रिका के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों व महिलाओं पर हो रहे जुल्म व अत्याचारों संबंधित गंभीर मुद्दों को बाली साहब बड़े ही प्रबलता से उठाते रहे और इन वर्गों के लिए प्रायः उचित न्याय की मांग करते रहे। यद्यपि हिंदी , उर्दू , अंग्रेजी और पंजाबी भाषा में बाली साहब सैकड़ों किताबें के सुप्रसिद्ध और महान लेखक थे जिनमें से – डॉ. अंबेडकर जीवन और मिशन , डॉ अंबेडकर ने क्या किया , डॉ. अंबेडकर और भारतीय संविधान , डॉ आंबेडकर महान समाज सुधारक , अंबेडकरी होने का अर्थ – आत्मकथा , अंबेडकर मिशन अर्थात अंबेडकरइज्म , डॉ आंबेडकर बनाम कार्ल मार्क्स , भारत में सांस्कृतिक क्रांति की जरूरत , बच्चों के अंबेडकर , डॉ. अंबेडकर : लंदन में ललकार और पूना पैक्ट , संविधान बनाम मनुस्मृति , अंबेडकर अपनाओ देश बचाओ , डॉ आंबेडकर कलम का कमाल (दोनों भाग ) इत्त्यादि उनके द्वारा लिखी गई महत्वपूर्ण किताबें के प्रमुख उदाहरण के रूप विद्यमान हैं । बाली साहब के लेखन शैली में इतनी ताकत हुआ करती थी कि जिसे पढ़कर कोई भी बड़े से बड़े धुरंधर सोंचने पर विवश हो जाए। बाबा साहेब अंबेडकर के विचारधारा से संबंधित महत्वपूर्ण किताबें को लिखकर बाली साहब ने अंबेडकरवादी प्रकाश को उन्होंने समस्त जगत में फैलने का कार्य किया।
महान समाज सुधारक :— विविध प्रतिभा संपन्न बाली साहब एक महान समाज सुधारक थे । उन्होंने प्रायः अंधविश्वास व जाति प्रथा और सांप्रदायिक सोच पर कड़ा प्रहार किया । वे अपने ओजस्वी वक्तव्यों व भाषणों के माध्यम से विपरीत परिस्थितियों से लड़ने हेतु समाज के कमजोर वर्गों में एक ताकत, जोश अथवा उत्साह वर्धन किया करते थे। उन्होंने उन सभी रूढ़िवादी , धार्मिक , परंपराओं को खंडन किया जो समता , स्वतंत्रता और बंधुत्व के धुर विरोधी हैं। अंबेडकरवादी सोंच के आधार पर समाज का नवनिर्माण करने हेतु उन्होंने प्रायः लोगों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया। बाली साहब अपने जीवन के अंतिम छोर तक समाज के कमजोर वर्गों को एक तर्कशील , स्वाभिमानी और स्वावलंबी समाज बनाने हेतु प्रयासरत रहे।
महान समाज सेवक :— बाली साहब ने आजीवन दलितों , पिछड़ों , आदिवासियों और महिलाओं के लिए एक बुलंद आवाज के रूप में काम किया। उन्होंने अपना समस्त जीवन जनकल्याण और मानव सेवा में समर्पित किया। उन्होंने स्वयं ही कइयों विभिन्न आंदोलन और मोर्चाओं का नेतृत्व किया। उनके संघर्ष व प्रयास से अनगिनत लोगों को न्याय मिला। उन्होंने सन् 1958—59 में खुराक आंदोलन का नेतृत्व किया जिसके परिणामस्वरुप खाद्य पदार्थों पर सरकार द्वारा बढ़ाए गए टैक्स और दामों को काम करवाया। सन 1964 की देशव्यापी मोर्चा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और देश के प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री से मुलाकात कर , देश की सभी निकासी जमीनों और बैंकों को राष्ट्रीयकरण करने हेतु प्रस्ताव को पारित करवाया। जिसके फलस्वरुप पंजाब के साथ-साथ देश के विभिन्न भागों में सभी मजदूरों , गरीबों , दलितों , पिछड़ों और भूमिहीनों को जमीन प्राप्त हुई । बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ और बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा भारतीय संसद के परिसर में लगाई गई। ऑल इंडिया समता सैनिक दल के तत्वाधान में हैदराबाद के आदिलाबाद में 500 एकड़ जमीनों पर कब्जा कर वहां पर दलितों और आदिवासियों के लिए लुंबिनी नगर बसाने का कार्य किया। सन् 1989 में गांव – औरंगाबाद ( कालोनी ), जिला – शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) में ग्राम प्रधान व कुछ दबंगों के द्वारा नई नई बस रही बस्ती (कालोनी) को उजाड़ने और वहां से गरीबों को भगाने का खूब प्रयास किया गया , समय समय पर कॉलोनी के गरीब लोगों को परेशान किया जाता रहा।
श्रद्धेय बाली साहब ने उक्त प्रकरण को लेकर ग्रामवासियों की मदद करने हेतु शाहजहांपुर के जिला प्रशासन को चिट्ठी लिख कर निर्दिष्ट किया और स्वयं बाली साहब गांव के दौरे पर आए । बाली साहब ने एक विशाल आयोजित जनसभा को संबोधित किया। आदरणीय बाली साहब ने गांव को न्यायिक और प्रशासनिक सुरक्षा प्रदान करवाया और दबंगों द्वारा कालोनी वासियों के 53 पट्टों की जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा किए गए , जमीनों को वापस दिलाने का कार्य किया। अतः समाज की उत्थान और कल्याण से संबंधित अनेकों उदाहरण है बाली साहब के , यदि लिखा जाए तक बहुत बड़ा ग्रंथ तैयार हो सकता है।
महान क्रांतिकारी योद्धा :— मानव रत्न बाली साहब स्वयं में ही एक बहुत बड़ा इंकलाब थे। वह एक ऐसे क्रांतिकारी योद्धा थे जिन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। वे अपनी लेखनी और भाषणों के माध्यम से सदैव समाज को एक नई सोच की ओर बदलाव हेतु प्रोत्साहित किया करते थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज के कमजोर वर्गों के हित में मनुवादी , संप्रदायिक और पूंजीवादी ताकतों से संघर्ष करते रहे। सन् 60 और 70 के दशक में जब बाबा साहब का नाम लेना भी मृत्यु को दावत देने के बराबर था , उस दौरान बाली साहब ने बिना किसी भय , लोभ , लालच के एक महान योद्धा की तरह अंबेडकरवादी आंदोलन को मजबूत कर उसे उच्चतम शिखर पर पहुंचने का महानतम कार्य किया। वह प्रायः अपने डंके के चोट पर कहा करते थे कि भारत के किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो — चाहे सामाजिक , राजनीतिक , आर्थिक , धार्मिक या अन्य किसी क्षेत्र से संबंधित समस्या हो , हर समस्याओं का समाधान मात्र एक अंबेडकर ही है। यदि देश की सरकार और भारतीय समाज – बाबासाहेब अंबेडकर के विचारधारा और भारतीय संविधान के आधार पर ईमानदारी से , निष्ठापूर्वक यदि इस देश का संचालन करें तो वास्तविक रूप से हमारा भारत पूरी दुनिया में एक महाशक्ति का रूप धारण करेगा और समस्त विश्व के लिए हमारा देश एक प्रेरणा स्रोत बनेगा।
महान दार्शनिक व विचारक :— बाली साहब बहुत ही प्रगतिशील व दुर्गा में सोच के महान व्यक्तित्व थे। विश्व समाज की समस्याएं पहले ही भाव जाते थे और उन समस्याओं का क्या समाधान हो सकता है इसके बारे में पहले ही बड़े विस्तार पूर्वक को स्पष्ट कर देते थे। उन्होंने इस देश की वर्तमान लोकतंत्र को सामंतवादी लोकतंत्र कहा क्योंकि इस देश की वर्तमान लोकतंत्र में समाज के कमजोर वर्गों के पूर्णता भागीदारी सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। अपनी आत्मकथा – अंबेडकर होने का अर्थ नामक पुस्तक में कहते हैं कि इस देश का लोकतंत्र – गाय , गीता , गंगा और चंद मुट्ठी भर हिंदू राष्ट्रवादियों के हाथों में सिमट कर रह गया है जिन्हें गरीबी , बेगारी , दलितों और महिलाओं पर हो रहे जुल्म और अत्याचारों से कोई सरोकार नहीं। अतः बाली साहब अपने बातों से स्पष्ट करते हैं कि बाबा साहब अंबेडकर के द्वारा सुझाए गए सिद्धांतों और वास्तविक रूप से सामाजिक , आर्थिक एवं राजनीतिक लोकतंत्र की अवधारणाओं से इस देश का विकास और सुदृढ़ता सुनिश्चित है। बाली साहब अक्सर अपने भाषणों में कहा करते थे कि अंबेडकरवादी होने की कुछ शर्ते हैं। वास्तविक रूप से अंबेडकरवादी होना और अपने आपको अंबेडकरवादी कहलाना , इसमें जमीन और आसमान का अंतर है। सच्चा , ईमानदार और निष्ठावान अंबेडकरवादी वह होता है जो ना कभी झुकता है , ना कभी रुकता है और ना ही कभी बिकता है। एक अंबेडकरवादी होने का मतलब है – तर्कशील होना , विवेकी होना और नैतिकवान होना। अतः बाली साहब की महान दर्शनिकता और महान विचार – बाबा साहब अंबेडकर और तथागत बुद्ध के सोच पर आधारित थी।
अतः इस प्रकार से विविध क्षेत्रों में बाली साहब का जो महानतम योगदान रहा है , वो सदैव स्मरणीय रहेगा। बाली साहब के जो सिद्धांत और अंबेडकरवादी सोच है वह सदैव इस देश और मानव समाज को प्रेरणा देते रहेंगे। यदि वास्तविक रूप से बाली साहब के महान योगदान और अंबेडकरवादी सोच को अध्ययन करना है तो उनके द्वारा लिखी गई समस्त साहित्य और खासकर डॉ. अंबेडकर जीवन और मिशन एवं अंबेडकर होने का अर्थ नामक पुस्तक सभी को पढ़ना चाहिए।
हालांकि बाली साहब का सानिध्य मुझे 8 वर्षों तक प्राप्त रहा और उनके सानिध्य में रहते हुए मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। और 7 अप्रैल 2023 को बाली साहब से मेरी अंतिम मुलाकात हुई , और लंबी वार्तालाप के दौरान मैंने बाली साहब को वचन दिया कि — हे बाली साहब जो वचन आपने बाबा साहब अंबेडकर को दिया है , वही वचन मैं आपको देता हूं कि मैं आप से प्रेरणा लेते हुए , अपने जीवन के आखिरी सांस तक एक निष्ठावान और समर्पण भाव से बाबा साहब अंबेडकर के मिशन में सेवा करता रहूंगा और उनके मिशन को आगे बढ़ाऊंगा। और 1 नवंबर 2022 को भी बाली साहब को मैंने बाबा साहब अंबेडकर के मिशन में आजीवन सेवा करने का वचन दिया था। बाली साहब ने पीठ पर हाथ रखते हुए शाबाशी दिया और उन्होंने कहा कि — मुझे विश्वास है कि तुम यह काम कर सकते हो , तुम्हारे अंदर ये क्षमता है , लेकिन तीन चीजों से हमेशा दूर रहना – स्त्री मोह , लालच और नशापान से , क्योंकि यह तीनों बुराइयां मनुष्य के चरित्र को नाश कर देती है।” और साथ ही बाली साहब जी ने मिशन के साथ साथ , मुझे अपनी पढ़ाई और अपने परिवार पर भी ध्यान रखने के लिए प्रतिबद्ध किया। बाली साहब अक्सर मुझे कहा करते थे कि – इंसान के रूप में पैदा हुए हो तो समय-समय पर इंसानियत का प्रमाण देना पड़ेगा । अन्यथा कुत्ता भी आता है , खाता है , पीता है और मर जाता है। उसे कौन जानता है , उसे कौन पहचानता है , इसीलिए इस दुनिया से जाओ तो अपनी छाप छोड़ कर जाओ।
परंतु 06 जुलाई 2023 को बाली साहब जैसे महान महान प्रकाश पुंज का अस्त होना समाज के कमजोर वर्गों और अंबेडकरवादी आंदोलन के लिए अपूर्णीय क्षति था जिसे कभी भी पूरा नहीं किया जा सकता। बाली साहब का हमसे विदा होना अर्थात मेरे लिए अनाश्रित भरा जीवन व्यतीत करने जैसा है। मुझे आजीवन बाली साहब की कमी महसूस होती रहेगी। हालांकि मैंने बाबासाहेब अंबेडकर का दर्शन तो नहीं किया , परंतु जो व्यक्ति ( बाली साहब) वर्षों तक बाबा साहब अंबेडकर के सानिध्य में रहे , और वर्षों तक मैं उनके सानिध्य में रहा , तथा मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । अतः इसके लिए हमेशा मैं अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता रहूंगा।
मैं यह आश्वस्त कर देना चाहता हूं कि मेरे आदर्श गुरु बाली साहब जीवित हैं और हमेशा जीवित रहेंगे — हमारे आचरण में , हमारे आदर्श में , हमारे व्यवहार में , हमारे भाषणों में , हमारे व्यक्तित्व में , हमारे चरित्र में , हमारी लेखनी में , साहित्य में , और हमारी मनो – मस्तिष्क में। इस महान व्यक्तित्व का अंत कभी नहीं हो सकता।
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