Baldev Raj Bhardwaj
अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.) की ओर से 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र दिवस को समर्पित ‘भारतीय संविधान और लोकतंत्र’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर की चरण स्पर्श भूमि अंबेडकर भवन में किया गया, जिसमें प्रख्यात बुद्धिजीवियों और दर्शकों ने भाग लिया। इस चर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर बलबीर, सेवानिवृत्त प्रमुख, स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग, दोआबा कॉलेज जालंधर ने भाग लिया।
प्रोफेसर बलबीर ने अपने ज्ञानवर्धक भाषण में कहा कि डाॅ. बीआर अंबेडकर संविधान के मुख्य वास्तुकार हैं और उनके मार्गदर्शन में बनाया गया भारतीय संविधान दुनिया का सबसे अच्छा और व्यापक कानूनी दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि इसकी प्रस्तावना भारतीय संविधान की आत्मा है। इसने भारत में समानता, स्वतंत्रता और भाईचारा स्थापित करने का प्रयास किया है। डॉ. अंबेडकर द्वारा भारतीय धर्मतंत्र को संविधानतंत्र में बदलना भारत के संसदीय लोकतंत्र की एक बड़ी उपलब्धि है। प्रोफेसर बलबीर ने कहा कि भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकार, सभी वयस्क नागरिकों को वोट देने का अधिकार, स्वतंत्र न्यायपालिका, चुनाव आयोग और राजनीति के निदेशक सिद्धांत भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण और अमूल्य अंग हैं।
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि वर्तमान समय में भारत में केवल ध्रुवीकरण के माध्यम से राजनीतिक लोकतंत्र को ही पनपाया जा रहा है। न्यायपालिका और चुनाव आयोग तथा केंद्रीय लोक सेवा आयोग सहित अन्य सरकारी संस्थाओं की स्वतंत्रता को कमजोर करके सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता को नष्ट किया जा रहा है। सोसायटी के अध्यक्ष श्री सोहन लाल, सेवानिवृत्त डीपीआई (कॉलेजों) ने कहा कि भारत में सही अर्थों में समानता, स्वतंत्रता और न्यायपूर्ण लोकतंत्र की स्थापना के लिए बाबा साहब द्वारा अथक परिश्रम, दृढ़ता और दूरदर्शिता से तैयार किये गये संविधान से भारत में संसदीय लोकतंत्र की स्थापना की नींव रखी गई, लेकिन आज की परिस्थितियों में भारतीय संविधान की मूल भावना का रूपान्तरण हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों को अपने मौलिक अधिकारों को बनाये रखने के लिए भारतीय संविधान की सुरक्षा के प्रति सचेत रहना चाहिए। उन्होंने चर्चा के मुख्य वक्ता प्रोफेसर बलबीर और दर्शकों का धन्यवाद किया और आश्वासन दिया कि अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.) भविष्य में भी संविधान और डॉ. अंबेडकर साहब की विचारधारा के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए ऐसी चर्चा जारी रखने का प्रयास करती रहेगी। सेवानिवृत्त राजदूत रमेश चंद्र ने अपने भाषण में कहा कि हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान की रक्षा करे। इस चर्चा में अंबेडकर भवन ट्रस्ट के महासचिव डॉ. जीसी कौल ने भी डॉ. अंबेडकर द्वारा भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता के रूप में किये गये योगदान के बारे में दर्शकों के साथ अपने विचार साझा किये।
इस अवसर पर सोसायटी के महासचिव बलदेव राज भारद्वाज द्वारा प्रस्तुत एवं सर्वसम्मति से पारित दो प्रस्तावों के माध्यम से सरकार से अनुरोध किया गया कि बाबा साहब डाॅ. अंबेडकर द्वारा भारतीय संविधान और संसदीय लोकतंत्र की सफलता के लिए 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा की आखिरी बैठक में दिए गए ऐतिहासिक भाषण को स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि भारत की नई पीढ़ी को लोकतंत्र के सच की पूरी तरह से जानकारी हो सके।
एक अन्य प्रस्ताव के माध्यम से चुनाव प्रक्रिया में ईवीएम के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए भारत में मतपत्र के माध्यम से चुनाव कराकर चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता स्थापित करने की पुरजोर मांग की गई।
इस चर्चा में चरण दास संधू, परमिंदर सिंह खुट्न, तिलक राज, हरभजन निमता, डाॅ. चरणजीत सिंह, डाॅ. महेंद्र संधू, मलकीत सिंह, बीबी महेंदो रत्तू, परमजीत महे, महेश चंद्र, एडवोकेट यज्ञ दीप, मास्टर जीत राम, सेवा सिंह भट्टी, गुरदयाल जस्सल, शाम लाल, हरि राम ओएसडी, प्रिंसिपल केएस फुल, ललित कंगनीवाल, नरिंदर लेख, अश्वनी कुमार, एडवोकेट राजिंदर आजाद, अमरजीत सांपला, एडवोकेट सुनील कुमार आदि ने भाग लिया। यह जानकारी अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.) के महासचिव बलदेव राज भारद्वाज ने एक प्रेस बयान में दी।
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